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प्रॉपर्टी सलाहकार कंपनी एनारॉक की रिपोर्ट में हुआ खुलासा, दिल्ली-एनसीआर में 2.4 लाख भवनों का निर्माण अटका

Anarock report says that 4.8 lakh homes worth Rs 4.48 lakh crore stuck or delayed in top 7 cities

Anarock के आंकड़ों के अनुसार जनवरी 2022 से मई 2022 के बीच इन सात शहरों में 36830 घरों के कंस्‍ट्रक्‍शन का काम पूरा किया गया। मई 2022 के अंत में इन सात शहरों में विभिन्न निर्माण चरणों में 448129 करोड़ रुपये मूल्य की 479940 इकाइयां फंसी हुई थीं

नई दिल्ली, पीटीआइ। प्रॉपर्टी सलाहकार कंपनी एनारॉक की एक रिपोर्ट के अनुसार, देश के सात प्रमुख शहरों में 4.48 लाख करोड़ रुपये मूल्य की करीब 4.8 लाख रेसिडेंशियल यूनिट्स (भवन) के कंस्‍ट्रक्‍शन का काम अटका पड़ा है या फिर बहुत देरी से चल रहा है। शोध रिपोर्ट के मुताबिक अटकी पड़ी रेसिडेंशियल यूनिट्स में से करीब 2.4 लाख सिर्फ दिल्ली-एनसीआर में ही स्थित हैं। अपने शोध में एनारॉक ने केवल उन रेसिडेंशियल प्रोजेक्‍ट्स को ही शामिल किया जो देश के सात शहरों दिल्ली- एनसीआर, मुंबई महानगर क्षेत्र (MMR), कोलकाता, चेन्नई, बेंगलुरु, हैदराबाद और पुणे में साल 2014 या उससे पहले शुरू की गई थीं।

एनारॉक के शोध से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार, जनवरी, 2022 से मई, 2022 के बीच इन सात शहरों में 36,830 घरों के कंस्‍ट्रक्‍शन का काम पूरा किया गया। मई, 2022 के अंत में इन सात शहरों में विभिन्न निर्माण चरणों में 4,48,129 करोड़ रुपये मूल्य की 4,79,940 इकाइयां फंसी हुई थीं। एनारॉक ने कहा कि अधूरी पड़ी हुई आवासीय इकाइयों में दिल्ली- एनसीआर और एमएमआर का सम्मिलित योगदान 77 प्रतिशत है। वहीं, बेंगलुरु, चेन्नई और हैदराबाद की भागीदारी इसमें सिर्फ 9 फीसद है। पुणे की हिस्सेदारी करीब 9 फीसद और कोलकाता की हिस्सेदारी 9 फीसद है।

एनारॉक ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि जेपी इन्फ्राटेक, यूनिटेक, आम्रपाली और The 3C कंपनी समेत कई बिल्डरों के तय समय पर परियोजनाएं पूरी नहीं करने से दिल्ली- एनसीआर में घर खरीदारों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। दिसंबर, 2021 के अंत में एनसीआर में अधूरी पड़ी इकाइयों की संख्या 2,57,360 थी।

कैलेंडर वर्ष 2021 के अंत में दिल्ली- एनसीआर, मुंबई महानगर क्षेत्र (MMR), कोलकाता, चेन्नई, बेंगलुरु, हैदराबाद और पुणे में ज्यादा मकान फंसे थे। रिपोर्ट के अनुसार इन शहरों के प्रॉपर्टी मार्केट में 4.84 लाख करोड़ रुपये मूल्य के लगभग 5.17 लाख फ्लैट्स या अपार्टमेंट्स अटके पड़े थे। एनारॉक के सीनियर डायरेक्‍टर एवं रिसर्च हेड प्रशांत ठाकुर ने कहा कि डेवलपर्स अपने प्रोजेक्‍ट्स को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध हैं और रहने के लिए तैयार घरों की मांग का फायदा उठा रहे हैं। उन्होंने कहा कि पिछले 5 महीनों में लागत बढ़ने से पैदा हुई काफी प्रतिकूल परिस्थितियों के बावजूद डेवलपर अपनी रफ्तार बनाए हुए हैं। इसके अलावा पिछले दो सालों में घरों की मांग मजबूत बने रहने से भी मदद मिली है।

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